जॉर्ज पंचम की नाक लगने वाली खबर के दिन अखबार चुप क्यों थे?

जार्ज पंचम की नाक लगने वाले दिन अखबार आत्मग्लानि से भरे हुए थे। इसिलिए वे चुप थे। हम जानते हैं कि अखबार वाले भारतीय बुद्धिजीवी वर्ग से आते हैं। इन्होंने स्पष्ट तौर पर देखा कि किस तरह हमारे सरकारी तंत्र विदेशी शासन के प्रतीक जार्ज पंचम की मूर्ति में भारतीय नाक लगाने की तैयारी में जीजान से जुटे हैं। यहाँ तक कि इस होङ में वे इंग्लैण्ड में हो रही स्वागत की तैयारी को भी पीछे छोङ रहे हैं। जार्ज पंचम की नाक लगाने को उत्सुक सरकारी तंत्र जार्ज पंचम के सम्मान में भारतीय स्वाभिमान की अनदेखी कर रहे हैं। ऐसा सरकारी तंत्र अंग्रेजों के प्रति अपनी चापलूसी या जी हुजुरी की नीति के अब तक उनके स्वभाव में उपस्थित रहने के कारण कर रहे हैं। सरकारी तंत्र अंत में जार्ज पंचम की मूर्ति में एक जिन्दा भारतीय नाक को मरम्मत कर उसे फिट कर के ही दम लेते हैं। यह सब देखकर अखबार चुप हो जाते हैं|


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